12th Hindi Viral 5 Long Subjective
Hindi = हिन्दी
Class 12th बोर्ड परीक्षा 2024
5 Long Subjective
05 फ़रवरी को यहीं पूछेगा
1. “गांव का घर” कविता का भाव स्पष्ट करें?
उत्तर :- गांव का घर शिक्षक कविता ज्ञानेंद्रपति द्वारा रचित प्रमुख कविता है। इस कविता में कवि प्राचीन संस्कृति से समाप्त होने तथा उसके स्थान पर नवपूंजीवाद और आर्थिक उदारवाद के प्रचलन के कारण दुःखी है। कवि उस दिन को याद करते है। जब बुजुर्ग के घर में प्रवेश से नई कन्या अंदर चली जाती है। बड़े घर में प्रवेश से पूर्व आवाज लेते हैं, खराउ को खट – खट आवाज, घुंघट की महिलाएं। लड़ाई झगड़ा के बाद पंच परमेश्वर की बैठक, लालटेन व दिया के सामने अपने द्वार पर बैठ कर पढ़ता बच्चा, वह होली चैती, नाटक, झंडा, भाड़े की लड़ाई, कुश्ती, शहर की चकौचौंध ने सबका भुला दिया। आज लोगों में प्रेम सद्भाव समाप्त है, पंच परमेश्वर खो गए लोग अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं। अस्पताल में मरीज से भरा – परा है। लोग आधी – व्याधि से ग्रसित हैं। अर्थात ग्रामीण संस्कृति नष्ट हो चुकी है। तथा शहरों का चकाचौक ने मानव को मशीन बना दिया है।
2. भगत सिंह ने कैसी मृत्यु को सुंदर मृत्यु कहा है? वे आत्महत्या को कायरता कहते हैं, इस संबंध में उनके विचारों को स्पष्ट करें।
उत्तर :- भगत सिंह ने देश सेवा के बदले दी गई फांसी को सुंदर मृत्यु कहा है। भगत सिंह इस संदर्भ में कहते हैं। कि जब देश में भाग्य का निर्णय हो रहा हो तो व्यक्तियों के भाग्य को पूर्णतया भुला देना चाहिए। इसी दृढ़ इच्छा के साथ हमारी मुक्ति का प्रस्ताव सम्मिलित रूप में और विश्वव्यापी हो और उसके साथ ही जब यह आंदोलन अपने चरम सीमा पर पहुंचे। तो हमें फांसी दे दी जाए। यह मृत्यु भगत सिंह के लिए सुंदर होगी। जिसमें हमारे देश का कल्याण होग। शोषक यहां से चले जाएंगे और हम अपना कार्य करेंगे। इसी के साथ भगत सिंह व्यापक समाजवाद की कल्याण भी करते हैं। जिससे हमारी मृत्यु बेकार ना जाए। अर्थात संघर्ष में मरना एक आदर्श मृत्यु है। भगत सिंह आत्महत्या को कायरता कहते हैं। क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो आत्महत्या करेगा वह थोड़ा दुःख, कष्ट सहने के चलते करेगा। वह अपना समस्त मूल्य एक ही क्षण में खो देगा। इस संदर्भ में उनका विचार है। कि मेरे जैसे विश्वास और विचारोंवाला व्यक्ति व्यर्थ मरना कदाचित सहन नहीं कर सकता। हम तो अपने जीवन का अधिक से अधिक मूल्य प्राप्त करना चाहते हैं। हम मानवता की अधिक से अधिक सेवा करना चाहते हैं। संघर्ष में मरना एक आदर्श मृत्यु है। प्रयत्नशील होना एवं श्रेष्ठ और उत्कृष्ट आदर्श के लिए जीवन दे देना कदापि आत्महत्या नहीं कही जा सकती। “आत्महत्या को कायरता” इसलिए कहते हैं कि लोग केवल कुछ दु:खों से बचने के लिए अपने जीवन को समाप्त कर देते हैं। इस संदर्भ में वे एक विचार भी देते हैं। की विपत्तियां व्यक्ति को पूर्ण बनानेवाली होती है।
3. “शिक्षा” लेख का सरांश लिखिए?
उत्तर :- “शिक्षा” लेख के अंतर्गत जे. कृष्णमूर्ति मानते हैं। कि शिक्षा मनुष्य का उन्नयन करती है। वह जीवन के सत्य, जीवन जीने के तरीके में मदद करती है। इस संदर्भ को देते हुए वे बताते हैं कि शिक्षक हो या विद्यार्थी उन्हें पूछना आवश्यक नहीं कि वह क्यों शिक्षित हो रहे हैं। क्योंकि जीवन विलक्षण है। ये पक्षी, ये फूल, ये वैभवशाली वृक्ष, यह आसमान, ये सितारे, ये सरिताएं, ये मत्स्य, इन सबसे हमारा जीवन है। जीवन समुदायों, जातियों और देशों का पारस्परिक सतत संघर्ष है। जीवन ध्यान है। जीवन धर्म भी है। जीवन गूढ़ है। जीवन मन की प्रच्छन्न वस्तुएं हैं – ईर्ष्याएं, महत्वाकांक्षाएं, वासनाएं, भय, सफलताएं, चिंताएं। शिक्षा इन सबका अनावरण करती है। शिक्षा का कार्य है कि वह संपूर्ण जीवन प्रक्रिया को समझने में हमारी सहायता करें। न कि हमें केवल कुछ व्यवसाय या ऊंची नौकरी के योग्य बनाएं। जे. कृष्णमूर्ति कहते हैं। कि हमें बचपन से ही ऐसे वातावरण में रहना चाहिए। जहां भय का वास न हो। न तो व्यक्ति जीवन भर कुंठित ही रहता है। उसकी महत्वाकांक्षाएं दबकर रह जाती है। मेधाशक्ति दब जाती है। मेधाशक्ति के बारे में कहते हैं। कि मेधा वह शक्ति है, जिससे आप भय और सिद्धांतों की अनुपस्थिति में स्वतंत्र से सोचते हैं। ताकि आप सत्य की वास्तविकता की खोज कर सके। पूरा विश्व इस भय से सहमा हुआ है। क्योंकि यह दुनिया वकीलो सिपाहियों और सैनिकों की दुनिया है। यहां प्रत्येक मनुष्य किसी न किसी के विरोध में खड़ा है। वह किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए प्रतिष्ठा, सम्मान, शक्ति व आराम के लिए संघर्ष कर रहा है। अतः निर्विवाद रूप से शिक्षा का कार्य यह है कि वह इस आंतरिक और बाह्य भय का अनुच्छेदन करें।
4. “प्यारे नन्हे बेटे को” शीर्षक द्वारा सारांश लिखें?
अथवा
“प्यारे नन्हे बेटे को” कविता का सारांश लिखें।
उत्तर :- प्यारे नन्हे बेटे को कविता विनोद कुमार शुक्ल द्वारा रचित। उनकी कविताएं अनुभव की सच्चाई व्यक्त करती है। विनोद कुमार शुक्ल की कविता “प्यारे नन्हे बेटे को” वार्तालाप शैली में लिखी गई है। इस कविता में कवि कहता है। की लोहा कर्म का पतिक है। इसे हर वस्तु में तलाशना होगा। वह प्यारी बिटिया से पूछता है। कि बताओ आस – पास कहां – कहां लोहा है। चिमटा, करकल, सिगड़ी, समसी, दरवाजे की सांकल, कब्जे में बिटिया बताती है। रुक-रुक कर फिर याद करके बताती है। लकड़ी दो खंभों पर वह एक सेफ्टी पिन पूरी साइकिल में लोहा है। कवि को लोहा के प्रति आगरा इतना क्यों? कवि बताता है। कि लोहा कर्म का प्रतीक है। वह जहां भी रहता है। अपनी मजबूती के साथ रहता है। उसका शोषण कोई नहीं कर सकता। कवी पुत्री को याद दिलाता है। कि हावड़ा, कुदाली, हंसिया, चाकू, खुरपी, बसूला, सभी में लोहा है। कवि को पुत्री भी याद दिलाती है। कि बाल्टी, सामने कुएं में लगी लोहे की घिर्री, छत्ते के डांडी में लोहा है। वह समाज के निम्न वर्ग के मजदूर को समाज का लोहा मानता है। जिसके बल पर समाज मजबूती से खड़ा है। परंतु वह मजदूर शोषित है। लोहा कदम – कदम पर और एक गृहस्थी में सर्वव्याप्त है। यह लोहा प्रतिकार्थ देता है। इस प्रकार कवि लोहा की खोज अपने पुत्री से करवाती हैं।
5. ‘हार-जीत’ कविता का सारांश लिखें?
उत्तर :- हार-जीत अशोक वाजपेयी द्वारा रचित कविता है। उनकी हार – जीत एक गद्य कविता है। इस कविता की विशेषता यह है कि इसमें प्रतिदिन जीवन अनुभवों की धरती से बोलचाल, बात-चीत और सामान्य मन: चिंतन स्थापित है। कवि युद्ध की स्थिति से लुब्ध है। वह शासकों के क्रियाकलापों से असंतुष्ट है। वह युद्ध के विषय में “हार-जीत” पर प्रश्न खड़ा करता है कि आखिर इस युद्ध में “हार-जीत” किसकी होती है। कवि कहते हैं कि शासक लोग उत्सव मना रहे हैं। सारे शहर को सजाया जा रहा है। शासकों ने जनता को बता रखा है। कि उनकी सेना विजय करके लौट रहीं है। कवि बताते हैं कि नागरिकों से ज्यादातर लोगों में किसी को पता नहीं है कि किस युद्ध में उनकी सेना गई थी। शासक धोखेबाज है। कवि शासक की धूर्तता, उसकी राजनीति की पोल खोलता है क्योंकि युद्ध में जितने सैनिक शहीद होते हैं। शासक उसकी सूची इसलिए प्रकाशित नहीं करता है। कि जनता बौखला जाएगी। शासकों के आने के कारण सड़क को को गिला किया जा रहा है क्योंकि उन पर कहीं धूल नहीं पड़ जाए। शासक गाने-बाजे के साथ अपना प्रभुत्व दर्शाने के लिए दिखावा कर रहे हैं। बूढा मशक वाला सड़क सीच रहा है। की कही राजा को धूल न पर जाएं। कवि कहते हैं कि युद्ध हार – जीत के लिए नहीं होता बल्कि विनाश ही करता है। जनता को सिर्फ काम में लगाया गया है। उसे सच कहने की इजाजत नहीं है। यही कभी का कहना है।
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